सताले अय जहाँ...
न खोलेंगे जुबा
सितम तेरे कभी तो बेअसर हो जायेंगे...
पुकारो लाख तुम...
न फिर लौटेंगे हम
के हम भी राह की ईस धुल में खो जायेंगे...
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न खोलेंगे जुबा
सितम तेरे कभी तो बेअसर हो जायेंगे...
पुकारो लाख तुम...
न फिर लौटेंगे हम
के हम भी राह की ईस धुल में खो जायेंगे...
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