Pages

Saturday, July 9, 2011

तुम्हारी भी जय जय...हमारी भी जय...

वक्त कहाँ रुकता हैं...तो फिर तुम कैसे रुक जाते
आखिर किसने चाँद छुवा हैं...हम क्यूँ हाथ बढ़ाते...

Listen

No comments:

Post a Comment